हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार, मजलिस-ए-वहदत मुस्लेमीन महिला विभाग और आईएसओ छात्राओ की ओर से यौमे हिजाब शीर्षक के तहत अटक मे एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें सुश्री फ़ायज़ा नकवी ने वेलेंटाइन जैसी बकवास पश्चिमी संस्कृति की कड़े शब्दों में निंदा की।
उन्होंने कहा कि इस्लामिक देशों को इस तरह के इस्लामी त्यौहारों को अस्वीकार करना चाहिए। इस्लाम ने महिलाओं को सम्मान और दर्जा दिया है। एक महिला की चादर उसकी सुरक्षा और सम्मान है। उन्होंने कहा कि हमारा समाज इस्लाम के बारे में और महिलाओं की स्वतंत्रता के नाम पर किए जाने वाले पश्चिमी प्रोपेगंडे की ज़द मे है इस्लाम ने औरत को कद्र और कीमत दी और हिजाब उसेक लिए अनिवार्य किया है ताकि वह अपनी शुद्धता और पवित्रा की रक्षा कर सकें।
उन्होंने आगे कहा कि इमाम खुमैनी ने महिलाओं के हिजाब को शहीदों के खून से बेहतर घोषित किया है। अतः जनाबे जैनब (स.म.अ.) की अनुयायी अपने इस्लामी हिजाब के साथ दीन की खिदमत का जज़बा लेकर मैदान मे उतरे इस कार्यक्रम में हिजाब के विषय पर सुधारात्मक रेखाचित्र भी प्रस्तुत किए गए हैं। कार्यक्रम मे मजलिस-ए-वहदते मुस्लेमीन महिला वर्ग के जिला सदस्यो के साथ सुश्री फराह दीबा, सुश्री क़ुर्रातुलऐन और ज़ैनब बिन्तुल हुदा ने भाग लिया।